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बच्चों के पेट में कीड़े होने के लक्षण, कारण, परीक्षण और बचने के उपाय क्या हैं?

बच्चों के पेट : Stomach worms in kids in hindi

वर्तमान समय की बात करें तो बच्चों के पेट में कीड़े खराब दिनचर्या और खराब आहार के कारण होते हैं। कई बाद उनके पेट में कीड़े हो जाने पर कोई भी लक्षण नही दिखाई देता अक्सर, उस स्थिति में इस बात का पता करना काफी कठिन हो जाता है कि पेट में कीड़े होने की वजह क्या है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें यह समस्या बच्चों में अनेक तरह के इनफेक्शन के संक्रमण से हो सकती है, तो सबसे पहले माता पिता को उसके कारण का पता होना बहुत जरूरी है| आज बच्चों में यह समय एक आम बीमारी मानी जाती है, इसके लक्षणों का पता करना काफी कठिन है तो इस लिए ध्यानपूर्वक इसका इलाज़ किया जाता है| इस आर्टिकल में हम आपके साथ बच्चों के पेट में कीड़े होने के लक्षण, उसका परीक्षण, कारण और इससे बचाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने वाले हैं|  

आधुनिक चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में हर दस बच्चों में से 3 पेट के कीड़ों की इस समस्या से परेशान हैं| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा पिनवर्म या थ्रेडवर्म नाम के कीड़े अपने संक्रमण से बीमार करते हैं। इनके आकार की बात करें तो दिखने में यह स्टेपल पिन या एक प्रकार के धागे के समान 4 से 11 मि.मी. तक लंबे हो सकते हैं, इसलिए इनसे सुरक्षित रहना बहुत जरूरी माना जाता है| हर बच्चे में अलग-अलग इनफेक्शन से यह पेट के अंदर पनप सकते हैं|

बच्चों के पेट में कीड़े होने के सामान्य लक्षण: Symptoms of Stomach worms in children in hindi

आपके बच्चे को कैसा संक्रमण प्रभावित कर रहा है, इसका असर कैसा हो सकता है इन सभी बातों की जानकारी उनमें दिखने वाले कुछ सामान्य लक्षणों से मिल सकती है| निम्नलिखित लक्षण महसूस होते ही अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएँ…

* अचानक से वजन कम होने लगना
* उनका चिड़चिड़ापन बढ़ जाना
* हमेशा पेट में हल्का-हल्का दर्द बने रहना
* मल त्याग करते समय खून आना
* बार-बार जी मिचलाना
* इनफेक्शन के बढ़ जाने पर दौरे पड़ने लगना
* बच्चों के गुदा के आसपास काफी ज्यादा खुजली होना
* लड़कियों में मूत्रमार्ग में होने वाले बैक्टीरिया संक्रमण के कारण पेशाब का ज्यादा आना
* मल में खून निकलने से एनीमिया हो जाना
* डायरिया भी सामान्य लक्षण  

बच्चों के पेट में कीड़े होने का निदान : Treatment for Stomach worms in children in hindi

बच्चों के लक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त होने के बाद डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों के द्वारा पेट में कीड़े होने के इनफेक्शन का पता लगा सकता है….

* बच्चे के नाखूनों का परीक्षण– इस टेस्ट में डॉक्टर बच्चों के के नाखूनों को देख कर इस बात का पता लगा सकता है कि उनके निचे कहीं कीड़े के अंडे तो नही है| जो किसी भी माध्यम से पेट के अंदर जाकर बच्चों को हानि पहुंचा सकते हैं|

* बच्चे का अल्ट्रासाउंड टेस्ट– इस टेस्ट की जाँच के द्वारा डॉक्टर बच्चे के पेट में अलग-अलग कीड़े का पता कर सकता है| यह टेस्ट तब किया जाता है जब पेट में पनप रहे कीड़े का आकार और स्थिति के बारे में जानकारी पता करनी हो|

* बच्चे के मल का परीक्षण– कुछ मामलों में डॉक्टर आपके बच्चे के मल का डॉक्टर आपके शिशु के मल का सेम्पल भी ले सकता है| इस टेस्ट के द्वारा वह पेट में कीड़ों के अंडों का पता लगा सकता है|  

* बच्चों का स्टिकी टेप परीक्षण– इसका मुख्य उदेश्य थ्रेडवर्म नाम के कीड़े का पता लगाना होता है| इस टेस्ट में डॉक्टर बच्चे के कूल्हों के आसपास एक छोटा सा टुकड़ा टेप का लगा देता है, इसके द्वारा वह पेट के अंदर के कीड़ों के  अण्डों को एक्त्रिकत करने का काम करते है, अंत में इसको जाँच केंद्र में भेज दिया जाता है|

बच्चों के पेट में कीड़े होने मुख्य कारण : Causes for Stomach worms in children in hindi

अगर इस समस्या के निम्नलिखित कारण का पता चल जाए तो इससे सुरक्षित रहना काफी आसान हो जाता है….

* तंत्रिका तंत्र में सूजन इस समस्या का मुख्य कारण
* बच्चों में हेपेटाइटिस-ए के टीके से  
* बच्चों के शरीर में खून की कमी के कारण
* सोते समय अगर बच्चा चॉकलेट का सेवन करे
* अधिक मात्रा में मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन
* जंक फ़ूड और तला हुआ आहार का अधिक सेवन
* जिन बच्चों को दांत आ रहे हैं
* डिबाबंद भोजन के सेवन से
* पौष्टिक भोजन की कमी के कारण भी बच्चों के पेट में कीड़े हो जाते हैं

बच्चों के पेट में कीड़े से बचाव : Prevention for Stomach worms in children in hindi

1. घर में मौसमी फल और हरी सब्जियों का उपयोग हमेशा साफ़ पानी के साथ धो कर करें, क्योंकि धूल-मिट्टी के साथ मिलकर हानिकारक बैक्टीरिया बच्चों के पेट में प्रवेश कर सकता है|

2. जब भी आपका बच्चा पेशाब, मल त्यागने के लिए शौचालय में जाए तो वह साफ़ और स्वच्छ हो ताकि शौचालय से कोई भी संक्रमण बच्चे को प्रभावित न कर सके|

3. आपका बच्चा जो भी नैपी या लंगोट पहन रहा है उसके गंधा होने पर साथ के साथ धो दें और खुद के हाथों को साबुन के साथ अच्छे से साफ़ कर लें|

4. कुछ कुछ समय बाद घर के अंदर और आस-पास कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराते रहें|

5. हमेशा कोशिश करें की बच्चा ज्यादा देर तक धूल-मिट्टी और और पानी में न खेले, ऐसी स्थिति में उसको कई तरह का संक्रमण अपना शिकार बना सकता है|

6. इस बात का आपको पता ही है कि कई बार पेट में होने वाले कीड़ों के अंडे नाखून के अंदर या आसपास रह जाते हैं तो इसलिए हमेशा बच्चे के नाख़ून समय पर काटते रहें|

7. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डब्ल्यू.एच.ओ. यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बच्चों के पेट में पड़ने वाले कीड़ों के बारे में कह चूका है कि जो बच्चे प्रीस्कूल में पढ़ रहे हैं उनका अच्छे से इलाज़ किया जाना चाहिए| जब आपका बच्चा एक साल का हो जाता है तो वैद्य उसको आने वाले हर छह महीने उसको साफ़ और स्व्च्छ इलाज़ करवाने के लिए परामर्श देते नज़र आते हैं|

8. अपने बच्चों को ज्यादा रेत, धूल-मिट्टी और कीचड़ वाले स्थानों पर जाने से रोकें, सबसे ज्यादा मानसून के समय उनको एक जगह खड़े दूषित पानी से दूर रखें|

9. जब आपका बच्चा चलने और घुमने फिरने लग जाता है तो उसको पेट के कीड़े का संक्रमण अधिक प्रभावित करता है जो उसके लिए हानिकारक साबित हो सकता है| इसलिए समय पर डॉक्टर से उनकी जाँच करवा कर पेट के कीड़ों का उपचार लेते रहें|  

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About Dr. Ranjana Kaushal

Dr. Ranjana Kaushal (MD Ayurveda) has 11 years of experience in the field of Ayurveda. Right now she is working as an Ayurveda consultant with Life Aveda. She has immense knowledge about herbs, their uses, and formulations. She has published articles related to many herbs and diseases in an international journal. She is also a degree holder in yoga and naturopathy. Read More..

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