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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या है, लक्षण, कारण, और बचाव

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के शरीर की पाचन शक्ति संतुलित है तो उसका स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है| परन्तु आज कल के अनुचित आहार के सेवन से लोगों का पेट खराब रहने लग जाता है, समय रहते इन समस्याओं को दूर न किया जाए तो आगे चलकर यह जानलेवा बीमारी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस का रूप ले सकती है|

आपकी जानकारी के लिए बता इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या सबसे ज्यादा शरीर की बड़ी आंत को कमजोर करती है। इस गम्भीर बीमारी में आपको पेट के अंदर सूजन, ऐंठन, आंत में दर्द और पेट दर्द जैसी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है| आज हम आपको इस लेख में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण, कारण, इलाज़, निदान और बचाव की महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने वाले हैं, जिसका पता होना आपको बहुत जरूरी है|

आईबीएस के लक्षण: Irritable Bowel Syndrome (IBS) Symptoms in Hindi

इस समस्या के लक्षण हर इंसान में अलग-अलग हो सकते हैं, जिसका असर शरीर में कुछ दिनों बाद दिखना शुरू हो जाता है| निम्नलिखित लक्षणों को ध्यान में रखकर इस गम्भीर बीमारी सुरक्षित रहा जा सकता है|

  • रोगी को धीरे-धीरे भूख लगनी बंद हो जाती है और उसका मिचलना शुरू हो जाता है|
  • रोजाना पेट में दर्द होने लग जाता है|
  • पाचन शक्ति ठीक न होने से गैस बनी रहती है|
  • कम भोजन करने पर भी हमेशा पेट भरा-भरा रहता है|
  • पेट में गुड़गुड़ और वह फूला हुआ महसूस होता है|  
  • व्यक्ति के मल त्याग के समय में परिवर्तन होने लग जाता है|
  • कब्ज के साथ-साथ कभी-कभी दस्त भी रहने लग जाते हैं|
  • इस समस्या में व्यक्ति को बार-बार हल्का बुखार रह सकता है।

आईबीएस के मुख्य कारण : Irritable Bowel Syndrome (IBS) Causes in Hindi

आधुनिक चिकित्सा में आज तक इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मुख्य कारणों का पता नही चल पाया है, परन्तु आयुर्वेदिक विशेषज्ञ पेट में हुआ हानिकारक बैक्टीरियल इन्फेक्शन और आंतों के इन्फेक्शन को इस गम्भीर बीमारी का कारण मानते हैं। निम्नलिखित जोखिम भरे कारक को ध्यान में रखकर आप आईबीएस की समस्या से बचे रह सकते हैं|

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को आईबीएस की समस्या ज्यादा परेशान करती है, उनका हार्मोनल सिस्टम इस बीमारी में अहम साबित होता है।

  • व्यक्ति की पाचन शक्ति को अनियंत्रित करने वाले खाद्य पदार्थ मुख्य कारण|
  • जब शरीर की छोटी आंत के आस-पास हानिकारक बैक्टीरिया का जमाव होने लगे|
  • व्यक्ति के पाचन तंत्र के अंदर हानिकारक बैक्टीरियल इन्फेक्शन को भी अहम कारण माना गया है|
  • अधिक मानसिक परेशानियों जैसे चिंता और तनाव, बता दें कि तनाव से आईबीएस समस्या काफी ज्यादा बढ़ सकती है|
  • यौन समस्याओं से होने वाले वाले तनाव के कारण भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या में बढ़ोतरी हो सकती है|

आईबीएस का निदान कैसे करें: Diagnosis of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi

इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं|

  • स्टूल टेस्ट परीक्षण– इस टेस्ट में रोगी के मल को लेब में भेजा जाता है, जहाँ ये पता लगाया जाता है कि उसके मल में किसी भी प्रकार का संक्रमण तो नही है|
  • रक्त परीक्षण– आईबीएस का पता लगाने के लिए डॉक्टर रक्त का टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं, इसमें खून की जांच के द्वारा आईबीएस समस्या का आसानी से पता लगाया जा सकता है|
  • कोलोनोस्कोपी परीक्षण–  इस टेस्ट के माध्यम से कोलन कैंसर जैसी समस्याओं का पता लगाया जाता है और परीक्षण के द्वारा आईबीएस के कारण का भी अच्छे से पता चल जाता है|
  • हाइड्रोजन ब्रीद परिक्षण– इस टेस्ट में छोटी आंतों के आस-पास जमा हुआ हानिकारक बैक्टीरिया और पाचन शक्ति के संतुलन का पता लगाया जाता है|
  • शारीरिक परीक्षण– इस टेस्ट में खुद डॉक्टर द्वारा रोगी के शरीर की जांच की जाती है और पेट को दबाकर उसके फूले होने का पता लगाया जाता है| इसके अलावा डॉक्टर स्टेथोस्कोप के द्वारा पेट के अंदर का हाल भी जाँच सकते हैं|

आईबीएस से बचने के बेहतरीन उपाय: Prevention of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi

अगर आप जानलेवा बीमारी से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले मुख्य कारणों को खत्म करना होगा| निम्नलिखित उपायों के द्वारा आप सुरक्षित बने रह सकते हैं| अगर आप इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से बचे रहना चाहते हैं तो इसके कारण तनाव, चिंता को खत्म करना होगा, इसके लिए आप थेरेपिस्ट की सहायता भी ले सकते हैं|

  • यह समस्या किसी को भी कभी भी हो सकती है, इसलिए शांत रहकर उचित आहार के सेवन से इसको दूर करने का प्रयास करें|
  • काफी देर से बना हुआ, डिब्बाबंद और फ्रिज में रखे हुए खाने के सेवन से हमेशा बचें|  
  • हमेशा तुरंत बना हुआ खाना हु सेवन करें, यह आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है|
  • दूषित वातावरण से दूर रहे और हमेशा अपने पास साफ़ सफाई रखने का प्रयास करें|
  • फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें ताकि आपका पाचन तंत्र स्वस्थ और संतुलित बना रहे|
  • एंटी-बैक्टीरियल खाद्य पदार्थों का सेवन भी हानिकारक इन्फेक्शन को दूर करने के लिए बहुत जरूरी है|  

आईबीएस का उपचार क्या है : Irritable Bowel Syndrome (IBS) Treatment in Hindi

  • इस बीमारी के अलग-अलग लक्षणों को दूर करके इससे बचा जा सकता है, आधुनिक चिकित्सा में डॉक्टर आईबीएस को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपचार के बारे में बता सकते हैं
  • अगर आपको पता हो मानसिक समस्याओं को भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का मुख्य कारण माना जाता है, इससे सुरक्षित बने रहने के लिए डॉक्टर थेरेपी लेने की सलाह भी दे सकते हैं| इसके द्वारा तनाव को कम करने में काफी मदद मिलती है|  
  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का उपचार करने के लिए रोगी को प्रोबायोटिक्स सेवन करने की सलाह दी जा सकती है, यह शरीर में माइक्रो ऑर्गेनाइज्म बनाने का काम करते हैं जिससे पाचन शक्ति संतुलित बनी रहती है|
  • इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर लक्षणों को ध्यान में रखकर एंटीबायोटिक व अन्य दवाइयों का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं|

आईबीएस की समस्या में पूछे जाने वाले कुछ सामान्य सवाल:

1. इस समस्या को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ कौन से हैं?
इस समस्या में रोगी को तला हुआ खाना, पिज्जा, बर्गर, फ़ास्ट फ़ूड, नूडल्स और मसालेदार खाने के सेवन से बचना चाहिए|

2. आईबीएस को दूर करने में सबसे उपयोगी पेय पदार्थ क्या है?
रोगी को कीवी, मौसमी फल और लाइम का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है|

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About Dr. Ranjana Kaushal

Dr. Ranjana Kaushal (MD Ayurveda) has 11 years of experience in the field of Ayurveda. Right now she is working as an Ayurveda consultant with Life Aveda. She has immense knowledge about herbs, their uses, and formulations. She has published articles related to many herbs and diseases in an international journal. She is also a degree holder in yoga and naturopathy. Read More..

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