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पेट में सूजन या गैस्ट्राइटिस समस्या को कैसे दूर किया जाए, इसके लक्षण, कारण और परीक्षण

वर्तमान समय के पसंदीदा आहार जंक फ़ूड ने इंसान के स्वास्थ्य को काफी ज्यादा खराब कर दिया है| लोगों की बढ़ती चिंता, तनाव और शारीरिक गतिविधि कम करने की आदत ने उसके शरीर को अलग-अलग बीमारियों का घर बना दिया है| उन्ही में से गैस्ट्रिक भी एक समस्या है, यह हर उम्र में परेशान करना शुरू कर देती है|

इसमें व्यक्ति का पेट फूलने लगता है और सोजिश भी आनी शुरू हो जाती है इसी को गैस्ट्राइटिस के नाम से जाना जाता है| आज हम आपके साथ पेट में सूजन या गैस्ट्राइटिस रोग के लक्षण, कारण, बचाव इलाज और परीक्षण की महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने वाले हैं|

आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार गेस्ट्राइटिस की समस्या अलसर रोग को उत्पन्न करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया की वजह से होती है| सामान्य भाषा में कहें तो इस स्थिति में पेट के म्यूकोस सूजने लगते हैं|

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि म्यूकोस के अंदर पाए जाने वाले सेल एसिड के साथ साथ व्यक्ति के शरीर में एंजाइमों को बनाने का काम करते हैं| इनका मुख्य कार्य भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े करना होता है ताकि वह शरीर में अच्छे से पच सके| यह बीमारी अनुचित दिनचर्या, असंतुलित आहार का सेवन और शारीरिक गतिविधि न होने के कारण महिला या पुरुष किसी भी हो सकती है|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) के लक्षण – Gastritis Symptoms in Hindi

वैसे तो इस समस्या के लक्षण हर इंसान में अलग-अलग हो सकते हैं, परन्तु निम्नलिखित में से किसी को भी पहचान कर आप अपने आप को बचा सकते हैं|

* मल त्याग करने समय खून आने लगता है|
* खून की उल्टी के साथ-साथ खट्टी डकार आने लग जाती है|
* उचित आहार न खाने पर भी पेट भरा-भरा महसूस होने लगता है|
* व्यक्ति हमेशा घबराया हुआ रहने लगता है|
* कभी-कभी मल से बहुत तेज गंद भी आने लगती है|
* बार-बार हिचकी आना भी गैस्ट्राइटिस का लक्षण माना गया है|
* पेट में गुड़गुड़ होने के अलावा जलन रहने लगती है|
* इसके अलावा इस समस्या में लोगों को चक्कर भी आने का खतरा बना रहता है|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) के कारण – Gastritis Causes in Hindi

निम्नलिखित कारण आपको गैस्ट्राइटिस से ग्रसित कर सकते हैं|
* पेट की परत नाजुक हो जाने पर शरीर के अंदर का पाचन रस दूषित होने लगता है पाचन रस खराब होने लगता है जिसके कारण गैस्ट्राइटिस समस्या हो सकती है|
* अनुचित आहार से सेवन से पेट में सूजन आ जाती है जो समस्या का कारण बन सकती है| उत्पन्न होती है।
* आधुनिक चिकित्सा में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया को भी इसका अहम कारण माना गया है।
* शराब, धूम्रपान और नशीले पदार्थों के सेवन मुख्य कारण|
* उम्र बढ़ने पर व्यक्ति अक्सर गैस्ट्राइटिस समस्या का शिकार होता है|
* चिंता और तनाव के कारण|
* शरीर में विटामिन बी कम हो जाने पर|
* किसी भी प्रकार की एलर्जी गैस्ट्राइटिस समस्या का कारण बन सकती है|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) से बचाव – Prevention of Gastritis in Hindi

* मसालेदार भोजन के सेवन से बचें|
* तला हुआ खाना और मिर्च मसाले गैस्ट्राइटिस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
* जंक फ़ूड जैसे बर्गर, मनचूरियन आदि का सेवन भूल कर भी न करें|
* प्रतिदिन 6 से 7 लीटर पानी आवश्य पिएं|
* दिनचर्या में व्यायाम, प्राणायाम और योग को जरूरी स्थान दें|
* सुबह 5 बजे उठकर 3 से 4 किलोमीटर घुमने जाएँ|
* शराब, सिगरेट, तम्बाकू और नशीले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) का परीक्षण – Diagnosis of Gastritis in Hindi

इस बीमारी की जड़ का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण करवानी की सलाह दे सकता है, इसके अलावा आपके परिवार के स्वास्थ्य की जानकारी भी ले सकता है|

1. रक्त का परीक्षण- इस परीक्षण के द्वारा डॉक्टर एनीमिया, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया के साथ-साथ अन्य रक्त सम्बन्धी बीमारियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी ले सकता है और रोगी को उचित सलाह दे सकता है|  

2. श्वास का परीक्षण– इस परीक्षण में व्यक्ति को स्वाद रहित पेय पदार्थ का सेवन कराया जाता है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें रेडियोधर्मी कार्बन उपस्थित होता है। अगर आपके शरीर में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया होगा तो उस तरल पदार्थ को तोड़ सकता है|

3.एक्स-रे परीक्षण: — इसमें व्यक्ति को बेरियम युक्त पेय पदार्थ सेवन करने के लिए दिया जाता है ताकि पेट की सूजन का परीक्षण किया जा सके| इसमें पाचन तंत्र, जठराग्नि और छोटी आंत के आस-पास का चित्र किया जाता है| विशेषज्ञों की मानें तो इसके द्वारा पेट के अल्सर का बारीकी से पता लगाया जाता है|

4. एंडोस्कोपी परीक्षण– इस परीक्षण में एक लंबी, पतली ट्यूब के उपयोग से ध्यान पूर्वक कैमरे के द्वारा पेट की जांच की जाती है जिससे सूजन और गेस्ट्राइटिस समस्या का पता लगाया जा सके|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) की जटिलताएं – Gastritis Complications in Hindi

इस बात को तो आधुनिक चिकित्सा ने भी स्वीकार किया है कि सही समय पर गैस्ट्राइटिस का उपचार जरूरी है, थोड़ी सी लापरवाही के कारण पेट से भारी रक्तस्त्राव हो सकता है| छोटी सी समस्या लग रही गेस्ट्राइटिस आने वाले समय में पेट के कैंसर का रूप ले सकती है|

अंत में यही कहा जा सकता है कि अगर आपको गेस्ट्राइटिस से संबंधित कोई भी लक्षण महसूस होता है तो उसी समय आयुर्वेदिक विशेषज्ञ करें। सही समय पर मिला उचित इलाज़ आपको क्रोनिक गेस्ट्राइटिस बीमारी से बचा सकता है|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) में क्या खाना चाहिए? – What to eat during Gastritis in Hindi?

निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन आपको हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया और गेस्ट्राइटिस समस्या से बचा कर रख सकता है|

* मौसमी फलों का सेवन काफी उपयोगी
* देसी गाय का दूध और दही का सेवन लाभदायक 
* गाजर जूस, नारियल पानी का सेवन
* हरी सब्जियों का उपयोग
* इसके अलावा पुदीना, प्याज, लहसुन का प्रयोग उत्तम उपाय
* सेब, जामुन के साथ-साथ अजवाइन, सोयाबीन लाभकारी
* काले चने, ब्रोकोली और फलियों में मटर, दाल और सेम का सेवन उपयोगी माना गया है|

पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) का इलाज – Gastritis Treatment in Hindi

इस समस्या का उपचार व्यक्ति के लक्षण और कारणों को जानकर किया जाता है, निम्नलिखित रूप से इसका उपचार संभव है|

* शरीर में एसिड को कम करने वाली औषधि– इनका सेवन व्यक्ति के पेट में अतिरिक्त एसिड के स्तर को कम करने में मदद करता है|मात्रा को कम करने के लिए ये दवाओं दी जाती हैं:

* एंटीबायोटिक औषधियों का सेवन– इनका सेवन पाचन क्रिया में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। इनका उपयोग मुख्य रूप से एक महीने तक किया जाता है|

* एंटासिड औषधियां– इनका उपयोग पेट में जमने वाली वसा को खत्म कर देता है जिससे आप डायरिया, कब्ज और गैस जैसी अनेक समस्याओं से बचे रह सकते हैं| 

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About Dr. Ranjana Kaushal

Dr. Ranjana Kaushal (MD Ayurveda) has 11 years of experience in the field of Ayurveda. Right now she is working as an Ayurveda consultant with Life Aveda. She has immense knowledge about herbs, their uses, and formulations. She has published articles related to many herbs and diseases in an international journal. She is also a degree holder in yoga and naturopathy. Read More..

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