वर्तमान समय में अनुचित खान-पान और खराब दिनचर्या की वजह से भारत में पांच में से एक महिला पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानि PCOS /PCOD का शिकार हो रही है|

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बिमारी में महिलाओं के अंडाशय के अंदर हार्मोन बढ़ना शुरू हो जाते हैं जिसके कारण ओवरी में सिस्ट बनने लग जाती हैं| शोध कहती है कि पीसीओडी बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है, परन्तु आयुर्वेदिक चिकित्सा हॉर्मोन अनियंत्रित हो जाना, चिंता-तनाव, शुगर और मोटापे को इसका मुख्य कारण मानती है।

पहले यह समस्या 25 से 35 साल के बिच महिलाओं को परेशान करती थी, परन्तु अब किशोरावस्था शुरू होते ही यह अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है| जब शरीर में वात, पित और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं तो पीसीओडी बिमारी होने का खतरा ज्यादा बन जाता है|

PCOD/PCOS पीसीओडी के मुख्य लक्षण:

PCOD or PCOS Problems

* अगर आप इस बीमारी से ग्रसित हैं तो आपका वजन अचानक से बढ़ना शुरू हो जाता है, जिसको ध्यान में रखकर इसका सही उपचार किया जा सकता है|

* अक्सर देखा गया है कि पीसीओडी से संक्रमित महिला को हमेशा पेट में हल्का-हल्का दर्द रहने लगता है|

* महिलाओं का मासिक चक्र इस बीमारी के होने से अनियंत्रित रहने लगता है, जो इसका मुख्य लक्षण माना गया है|

* पीसीओडी से परेशान महिला हमेशा थका-थका महसूस करती है|

* आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार इस बीमारी में आपकी स्किन ऑइली रहने लग जाती है|

* हार्मोन अनियंत्रित हो जाने से चेहरे पर बाल आना शुरू हो जाते हैं|

* पीसीओडी बीमारी के समय महिलाओं के बाल बहुत ज्यादा झड़ने लग जाते हैं जो आगे चलकर महिलाओं के गंजेपन (फिमेल पैटर्न बॉल्डनेस) का कारण भी बन सकती है|

* पाचन क्रिया खराब हो जाने के कारण चेहरे पर मुंहासे होने लग जाते हैं, अगर समय रहते इसको संभाला न जाए तो यह एक गम्भीर बीमारी का रूप ले सकती है|

* इस बिमारी में महिलाओं का स्वभाव बदलता रहता है, वह ज्यादातर गुस्से में रहने लग जाती हैं|

* पीसीओडी हो जाने पर गर्भधारण करने में भी परेशानी होने लगती है|

PCOD पीसीओडी के सामान्य कारण:

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक यह आपको अनुवांशिक रूप से हो सकती है, यानी अगर आपके परिवार में पहले किसी को यह बीमारी थी तो आगे भी इसके होने का डर बना रहता है|

इसके अलावा मासिक चक्र के अनियंत्रित हो जाने से, दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि न होने से, मोटापे के कारण और खराब आहार का सेवन करने से भी आप पीसीओडी (PCOD) के शिकार हो सकते हैं| इसलिए अगर आपको उपर दिए लक्षणों में से कुछ भी महसूस होता है तो उसी समय वैद्य की सलाह के अनुसार उपचार लेना शुरू कर दें|

पीसीओडी (PCOD) में ध्यान देने योग्य आवश्यक 6 बातें:

यहाँ हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको ध्यान में रखकर आप पीसीओडी जैसी समस्याओं से बचे रह सकते हैं|

1. तले हुए और वसायुक्त आहार से दूरी बना लें|

2. मीठे आहार का सेवन हमेशा वैद्य की सलाह के अनुसार ही करें|

3. अपने भोजन में रेशेदार और हरी सब्जियों को जरुर शामिल कर लें|

4. हमेशा तनाव मुक्त रहें और नकारात्मक सोच से दूरी बनाएं|

5. सूर्योदय से पहले उठकर रोजाना 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलें|

6. अगर आप आयुर्वेदिक उपचार लेने के साथ-साथ सुबह और शाम नियमित रूप से सूर्य नमस्कार, मत्स्यासन, शलभासन और भुजंगासन करते हैं तो इस बीमारी को जल्दी खत्म किया जा सकता है|

लाइफ अवेदा/ओवा सिस्ट एक महत्वपूर्ण औषधि:

ओवा सिस्ट (Ova Cyst) को अशोका, गांधारी और गूलर जैसी जड़ी बूटियों का मिश्रण करके तैयार किया गया है, जो आपके मासिक चक्र को नियंत्रित बनाए रखता है और अंडाशय को दुरुस्त बनाने में मदद करता है| इसके वैद्य की सलाह के अनुसार सेवन करने से हार्मोन संतुलित बने रहते हैं। यह औषधि अंडाशय के आस-पास बनने वाली सिस्ट को रोकने में भी कारगर मानी गई है|

ओवा सिस्ट में मिश्रित मुख्य सामग्री:–
अशोका – 100 मिलीग्राम
गांधारी – 100 मिलीग्राम
मेथी – 75 मिलीग्राम
गूलर – 50 मिलीग्राम
त्रिकटु – 50 मिलीग्राम
वरुणा – 50 मिलीग्राम
शिवलिंगी – 50 मिलीग्राम
उलटकंबल – 25 मिलीग्राम

पीसीओडी बीमारी में लाइफ अवेदा की ओवा सिस्ट (Ova Cyst) के फायदे:

आधुनिक शोध के अनुसार आज के समय में यह बीमारी मुख्य रूप से 20 से 45 साल की महिलाओं को ज्यादा परेशान करती है| अगर उपर दी गई लाइफ अवेदा की ओवा सिस्ट का सही रूप से सेवन किया जाए तो इस गंभीर समस्या को दूर किया जा सकता है|

* तनाव और चिंता के कारण बढ़ने वाले हार्मोन को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है|

* ओव्यूलेशन प्रक्रिया को सहज बनाते हुए गर्भधारण करने में मदद करता है|

* शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है|

* आपके शरीर में गर्मी को कम करने में सहायता करने के अलावा मानसिक संतुलन दुरुस्त बनाए रखता है|

* मासिक चक्र की प्रक्रिया को संतुलित बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है|

* आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायता करता है, जो इस बीमारी के होने की मुख्य वजह मानी गई है|

* शरीर के अनुसार आपके वजन को बनाए रखने में सहायता प्रदान करता है।

* बालों को मजबूती प्रदान करने के अलावा उनका झड़ना भी कम करता है।

* आपके शरीर की त्वचा को निरोगी रखने में मददगार साबित होता है|

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पीसीओडी बीमारी में पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न:

क्या पीसीओडी (PCOD) की समस्या में भी गर्भधारण किया जा सकता है?

पीसीओडी (PCOD) से ग्रसित महिलाओं के मन में एक बात घर कर जाती है कि वह कभी माँ नही बन सकती, जबकि स्थिति इसके विपरीत है| बता दें कि पीसीओडी आपके हार्मोन के अनियंत्रित हो जाने वाली बीमारी को कहा जाता है, अगर दिनचर्या को बदल लिया जाए और सही आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन किया जाए तो गर्भधारण किया जा सकता है|

इस बीमारी का पता कैसे चलता है पीसीओडी (PCOD) की समस्या ?

इस बात को जानने के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ सबसे पहले आपके स्वास्थ्य की जानकारी लेगा, उसके बाद वह मासिक धर्म आने में कोई परेशानी तो नहीं है इसकी जानकारी लेगा| ये सब पूछने के बाद त्वचा, पेट, ओवरी और ब्रेस्ट आदि अंगों की जांच की जाती है|

पीसीओडी बीमारी के समय खान-पान कैसा होना चाहिए?

अगर इस बीमारी के समय आप रेशेदार आहार, हरी सब्जियां, मौसमी फल और कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो आपके लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है|

पीसीओडी बीमारी में डॉक्टर वजन कम करने के लिए क्यों कहता है?

आयुर्वेदिक चिकित्सा के मुताबिक शरीर के अनुसार वजन मासिक चक्र को संतुलित बनाए रखता है, परन्तु कम या ज्यादा इसको अनियंत्रित कर सकता है| इसलिए हमेशा वह वजन कम करने के लिए कहते हैं|

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