आज इस आर्टिकल में हम आपको हेपेटाइटिस बी बीमारी की मुख्य जानकारी, लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बताने वाले हैं| जिसके द्वारा समय रहते इस जानलेवा रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है|आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के मुताबिक व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ़ तीन दोष होते हैं जिसका संतुलित रहना ही उनको बीमारियों से सुरक्षित रखता है| परन्तु इनमें से कोई न कोई दोष असंतुलित रहने से इंसान बीमार पड़ता ही रहता है जिनको सामान्य रोग भी कहा जा सकता है| लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जो लोगों को मरते दम तक परेशान करती हैं और उन्ही में से एक हेपेटाइटिस बी है|
हेपेटाइटिस बी रोग परिचय:
आयुर्वेद चिकित्सा में कफ दोष के द्वारा 25 से 30 प्रकार के रोग, पित्त से 35 से 40 प्रकार के रोग और वात दोष से 70 से 80 तरह के रोग हो सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हेपेटाइटिस बी वात दोष के असंतुलन से होने वाली एक वायरस बिमारी है। यह किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना लेती है, बाल्यावस्था में इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है| यह रोगी के लीवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करना शुरू करती है जिसकी वजह से उसमें सूजन आने लगती है| अगर इस समस्या को समय रहते नहीं रोका जाए तो आगे चलकर यह सिरोसिस एक गंभीर रोग का रूप ले सकती है जो आपकी मृत्यु का कारण बन सकती है|
हेपेटाइटिस बी कितने प्रकार का होता है?
आयुर्वेद में इस गंभीर बीमारी के दो निम्नलिखित प्रकार बताए गए हैं|
1. सामान्य हेपेटाइटिस बी:
आयुर्वेदिक चिकित्सा कहती है कि इस स्थिति में रोगी अगर उचित खान-पान और सही उपचार का प्रयोग करता है तो वह काफी जल्दी अपने लीवर को फिर से स्वस्थ कर सकता है|
2. असामान्य या क्रोनिक हेपेटाइटिस बी:
इस स्थिति में रोगी को लीवर की जानलेवा बीमारी सिरोसिस होने का डर बना रहता है। यह हेपेटाइटिस बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है, परन्तु किशोरावस्था में ही जिनकी रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है, उनके लिए भी यह बीमारी हानिकारक साबित हो सकती है|
हेपेटाइटिस बी के लक्षण:
यह बीमारी शुरुआत में कोई असर नहीं दिखाती लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ते चले जाते हैं इसके निम्नलिखित लक्षण भी दिखने शुरू हो जाते हैं|
* सामान्य रूप से रोगी का पेशाब गाढा पीले रंग का हो जाता है|
* बार-बार भोजन करने पर भी भूख लगने लगती है|
* इस रोग में व्यक्ति को कुछ हफ्तों के बाद कमजोरी होने लगती है और चक्कर आना शुरू हो जाते हैं|
* एक शोध यह भी कहती है कि व्यक्ति थोड़े-थोड़े दिनों में किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है|
* शारीरिक गतिविधि न होने पर भी थकान रहती है|
* रोगी को दस्त और उल्टियां लग जाती हैं|
* पूरे शरीर के जोड़ असहनीय दर्द करने लगते हैं जो इसका अहम लक्षण माना गया है|
* इसके अलावा अगर किसी को बार-बार बुखार हो रहा है तो वह भी हेपेटाइटिस बी का लक्षण हो सकता है|
हेपेटाइटिस बी के मुख्य कारण:
ये तो आप जान ही चुके हैं कि हेपेटाइटिस बी एक संक्रमण है जो वायरस की वजह से अन्य लोगों को खतरे में डाल सकता है| यहाँ हम आपको इसके मुख्य कारणों के बारे में बताने वाले हैं जिनके बारे में जानकर आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं|
* अत्यधिक नशीली दवाइयों और शराब के कारण व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो सकता है|
* जो लोग हेपेटाइटिस बी के रोगी से मिले हैं या फिर किसी देश में गए हैं जहाँ पर इस बीमारी के रोगियों की संख्या ज्यादा है उनको यह ग्रसित कर सकती है|
* इस बीमारी के रोगी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण|
* बार-बार डायलिसिस करवाने से भी इस रोग के होने की संभावना बनी रहती है|
* हेपेटाइटिस बी के रोगी की कोई भी वस्तु इस्तेमाल करने के कारण|
* गर्भवती होने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है|
हेपेटाइटिस बी आयुर्वेदिक उपचार
अब हम आपको लाइफ अवेदा द्वारा तैयार किए गए 100 % प्राकृतिक तीन औषधियों के कॉम्बो के बारे में बारीकी से बताने जा रहे हैं| इनका नियमित सेवन शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ हेपेटाइटिस बी जैसी जानलेवा बिमारियों को दूर रखने में मददगार माना गया है|
भूमि आंवला कैप्सूल है जिसको इस जड़ी बूटी के शुद्ध अर्क से बनाया गया है। यह पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है, भोजन को पचाने में मदद करता है, पित्त दोष को संतुलित रखता है और यकृत कोशिकाओं के कार्यों को पुनर्स्थापित करता है। यह वात और पित्त दोष के बीच भी संतुलन बनाए रखता है।
लाइफ अवेदा भूमि आंवला गैस्ट्रिक एसिड के उत्पादन को कम करके और पेट की परत को क्षतिग्रस्त होने से बचाकर पेट के अल्सर को रोकने में मदद करता है। भूमि आंवला का पित्त संतुलन गुण एसिडिटी और अपच की स्थिति में इसे फायदेमंद बनाता है। यह अपने मूत्रवर्धक गुण के कारण गुर्दे की पथरी बनने के जोखिम को भी कम करता है।
मुख्य सामग्री:
भूमि आंवला का रस:- 500 मिलीग्राम
इस्तेमाल करने की विधि:
1-2 कैप्सूल दिन में दो बार भोजन के बाद सादे पानी के साथ या वैद्य के निर्देशानुसार लें|
दूसरी औषधि लिव गार्ड कैप्सूल है इसको अनेक जड़ी-बूटियों का मिश्रण करके तैयार किया गया है| जो स्वस्थ चयापचय को बढ़ावा देती हैं और यकृत को फिर से जीवंत करने में मदद करती हैं। ये प्राकृतिक जड़ी बूटियां पाचन तंत्र की सूजन को कम करने में भी सहायक हैं। यह लीवर और पित्ताशय की थैली को साफ करता है। यह तीनों दोषों को संतुलित रखती है जिसके परिणामस्वरूप बेहतर पाचन और चयापचय बना रहता है। यह लीवर को हेपेटाइटिस और पीलिया जैसे संक्रमणों से बचाने में सहायक है। यह अल्कोहल के कारण क्षतिग्रस्त लीवर सेल को भी ठीक करता है।
लिव गार्ड कैप्सूल मुख्य सामग्री:
कुटकी 100 मिलीग्राम
कालमेघ 100 मिलीग्राम
त्रिफला 50 मिलीग्राम
भृंगराज 50 मिलीग्राम
कासनी 50 मिलीग्राम
गिलोय 50 मिलीग्राम
पुनर्नवा 50 मिलीग्राम
मकोय 50 मिलीग्राम
उपयोग करने की विधि:
वैद्य की सलाह के अनुसार वयस्कों के लिए 1-2 कैप्सूल दिन में एक या दो बार।
लाइफ अवेदा की तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण औषधि कालमेघ है, यह लीवर, गॉल ब्लैडर, पेट, आंतों, फेफड़ों और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है। ये कैप्सूल हेपाटो प्रोटेक्टिव गुणों से भरे हुए हैं जो लीवर और गॉल ब्लैडर के लिए एक रामबाण दवा है। हाइपोग्लाइसेमिक गुण इंसुलिन के स्तर को कम करने और प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं।
ये कैप्सूल मौसमी परिवर्तनों के कारण होने वाली बीमारियों को दूर करने में सहायता करते हैं और रक्त से यूरिया, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन, उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे विषाक्त पदार्थों को मूत्राशय के रास्ते निकालकर प्राकृतिक सफाई करने वाले के रूप में कार्य करते हैं। आयुर्वेद में कालमेघ अपने इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है।
मुख्य सामग्री:
कालमेघ अर्क: – 500 मिलीग्राम
इस्तेमाल करने की विधि:
1-2 कैप्सूल दिन में दो बार भोजन के बाद सादे पानी के साथ या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
सुरक्षा संबंधी जानकारी:
सुरक्षा संबंधी जानकारी:
लाइफ अवेदा के इस लाभकारी औषधियों के कॉम्बो का सेवन करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें|
* उपयोग करने से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें
* बच्चों से दूर रखें
* ध्यान रहे खुराक मात्रा से अधिक न हो
* धूप से दूर कमरे के तापमान पर रखें
दवाई का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले। इस दवाई का उपभोग एक रोगी से दूसरे रोगी में उनके चिकित्सा मानकों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
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आपका परामर्श बिल्कुल सुरक्षित रहेगा। लाइफ आवेदा प्लेटफॉर्म बिल्कुल 100% निजी और सुरक्षित है। हमारे ग्राहक की जानकारी और स्वास्थ्य डेटा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है और यह सर्वोत्तम तकनीक से सुरक्षित है।
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