अर्थराइटिस को आयुर्वेदिक भाषा में गठिया के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में यूरिक एसिड के द्वारा बनने वाले क्रिस्ट्ल्स शरीर के जोड़ो में एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं जिसके बाद हाथ-पैर की हड्डियों में सूजन आने लगती है| आधुनिक शोध के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में यूरिक एसिड ज्यादा बनने लगे तो वह इस जानलेवा बीमारी से ग्रसित हो सकता है| पहले यह बीमारी 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को परेशान करती थी, परन्तु वर्तमान समय का खान-पान ऐसा हो गया कि अब युवा अवस्था में भी लोग इससे लड़ते नज़र आते हैं|
अर्थराइटिस या गठिया रोग का परिचय:
जब व्यक्ति के शरीर में वात दोष असंतुलित हो जाता है और रक्त के अंदर कोई न कोई विकार आ जाता है तो वह इस बीमारी से संक्रमित हो सकता है| आज-कल का अनुचित आहार और खराब दिनचर्या अर्थराइटिस होने का मुख्य कारण हैं, इस बीमारी से परेशान इंसान को अपनी जीवनशैली में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है| अगर आयुर्वेदिक उपचार के साथ सही आहार का सेवन किया जाए तो इस पीड़ादायक रोग से बचा जाकता है| आज हम आपको इस आर्टिकल में अर्थराइटिस बीमारी के मुख्य लक्षण, कारण और उचित आहार की जानकारी देने वाले हैं|
अर्थराइटिस यानी गठिया के सामान्य लक्षण:–
इस बीमारी के सामान्य लक्षणों के बारे में जानकर सही समय पर इसका उपचार किया जा सकता है|
1. इस बीमारी में व्यक्ति हमेशा थका-थका रहता है|
2. रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाने से भूख कम हो जाती है|
3. हाथ-पैरों के जोड़ लाल हो जाते हैं और दर्द रहने लगता है|
4. व्यक्ति का शरीर भी दर्द करने लग जाता है|
5. जोड़ों में दर्द की वजह से बुखार भी हो सकता है|
6. शरीर के अंदर रक्त में विकार आने लगते हैं|
7. दर्द रहने से हाथ-पैर काम करने में असमर्थ हो जाते हैं|
अर्थराइटिस होने के मुख्य कारण:–
आधुनिक शोध से पता चला है कि इस बीमारी के होने की सबसे बड़ी वजह लोगों की खराब दिनचर्या और अनुचित आहार का सेवन है| यहाँ हम आपको इसके कुछ मुख्य कारणों के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
1. अत्यधिक मसालेदार और तला हुआ आहार सेवन करने से
2. धूम्रपान और नशीले पदार्थों का उपयोग भी मुख्य कारण
3. गुर्दे से संबंधित समस्या के कारण अर्थराइटिस रोग हो सकता है
4. पाचन क्रिया के खराब हो जाने से
5 अधिक मात्रा में दवाइयों के उपयोग से भी गठिया रोग होने का डर रहता है
अर्थराइटिस से ग्रसित इंसान ऐसा रखे अपना डाइट चार्ट:-
हम आपको अर्थराइटिस बीमारी में उपयोग किये जाने वाले आहार की जानकारी देने वाले हैं, इसमें रोगी के लक्षण और कारणों को जानकर परिवर्तन भी किया जा सकता है| इसलिए इसके उपयोग से पहले किसी वैद्य से सलाह अवश्य कर लें|
* सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर रोजाना सेवन करें|
* नाश्ते में आप दो फुल्का रोटी हरी सब्जी के साथ या भुना हुआ एक अंडा बिना जर्दी के, बेसन का एक चिला बनाकर या फिर रोजाना एक उबला हुआ अंडा बिना जर्दी के सेवन कर सकते हैं|
* दिन में 11 से 12 के बीच में आप अनानास, सेब, और चेरी जूस के रूप में या फिर काट कर खा सकते हैं, इसके अलावा दही के साथ एक कटोरी रात को भिगोए हुए काले चने का उपभोग भी कर सकते हैं| अगर ये सब न मिले तो देसी गाय का दूध हल्का गर्म रोजाना सेवन करना फायदेमंद रहता है|
* दोपहर के समय में अर्थराइटिस रोगी एक कटोरी हरी सब्जी के साथ 2 रोटी, थोड़े से चावल और सलाद का सेवन कर सकता है|
* शाम को इस बीमारी से परेशान व्यक्ति एक कप दही, देसी गाय के दूध की चाय के साथ दो बिस्किट या फिर एक गिलास दूध के साथ 2 से 3 अखरोट खा सकता है|
* रात के भोजन में आप हरी लौकी की सब्जी, 2 से 3 रोटी या फिर बीन्स की सब्जी के साथ जौ की रोटी का सेवन कर सकते हैं|
ध्यान देने योग्य बातें:–
निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर आप अर्थराइटिस या गठिया रोग से बच सकते हैं|
* इस बीमारी के रोगी रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरुर पूरी करें।
* हमेशा तनाव मुक्त रहें और खुश रखने की कोशिश करें|
* हमेशा कोशिश करें कि एक ही स्थिति में खड़े या बैठे न रहें।
* सूर्योदय से पहले उठकर 3 से 4 किलोमीटर चलें|
* दिनचर्या में व्यायाम को महत्वपूर्ण स्थान दें|
* ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें|
* भोजन पकाने में जैतून के तेल का उपयोग करें|
इन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें:–
अर्थराइटिस से परेशान व्यक्ति अगर निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन से दूर रहे तो अच्छा रहता है|
* नमक का उपयोग हमेशा खाने में कम करें|
* लाल मांस और सी फूड के सेवन से बचना चाहिये|
* घी का उपयोग हमेशा वैद्य की सलाह लेकर करें|
* शरीर में इंसुलिन की मात्रा संतुलित बनाए रखें|
* डेयरी उत्पाद या फिर डिब्बाबंद खाने का सेवन भूलकर भी न करें|
* शराब, धूम्रपान और नशीले पदार्थों से दूरी बनाएं|
अर्थराइटिस या गठिया को दूर करने के कुछ घरेलू उपाय:-
- लहसुन का सेवन लाभकारी – अगर सुबह खाली पेट लहसुन की 2 से 3 कलियाँ सेवन कर ली जाए तो यह प्रयोग रक्त विकारों के अलावा गठिया दर्द को दूर करने में सहायक साबित होता है|
- नींबू पानी फायदेमंद – आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके अंदर एंटीवायरल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं जो शरीर में वात दोष को संतुलित बनाए रखते हैं| गठिया रोगी अगर रोजाना एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर सेवन करे तो बहुत फायदा मिलता है|
- एलोवेरा भी असरदार औषधि – आयुर्वेद में एलोवेरा को त्वचा रोगों की रामबाण औषधि माना गया है| अगर गठिया से परेशान व्यक्ति दर्द वाली जगह पर रोजाना इसका इस्तेमाल करे तो काफी जल्दी आराम पहुंचता है|
- अश्वगंधा चूर्ण के अनेक फायदे – इस औषधि को आयुर्वेद में हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है| सुबह और शाम एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को देसी गाय के दूध के साथ सेवन करने से गठिया की समस्या जल्दी दूर हो जाती है|
- तिल का तेल रामबाण – अर्थराइटिस रोगी के लिए यह तेल रामबाण माना जाता है| इसका उचित प्रयोग हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और आप गठिया जैसी बीमारी से बचे रहते हैं|
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