आयुर्वेद चिकित्सक बताते हैं कि व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स कुछ ऐसी कोशिकाएं हैं जो रक्त के बहाव को संतुलित रखने का काम करती हैं| बता दें कि जब किसी को आंतरिक या बाहरी चोट से वेसल्स से रक्त निकलना शुरू हो जाता है तो प्लेटलेट्स उसको रोकने में सहायता करती हैं| अगर किसी भी व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स कम या ज्यादा होने लगे तो अनेक बीमारियों को आमंत्रित कर सकती हैं| आज इस लेख में हम प्लेटलेट काउंट के बारे में अति उपयोगी जानकारी साझा करने वाले हैं जो आपके लिए लाभकारी साबित हो सकती है|

प्लेटलेट्स काउंट कम क्यों होती हैं?

व्यक्ति के शरीर में कम प्लेटलेट काउंट डेंगू बुखार वायरस अथवा मादा मच्छर के काटने से होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार बुखार होने लगता है जिसका असर धीरे-धीरे शरीर के जोड़ों में असहनीय दर्द के रूप में दिखना शुरू हो जाता है| प्लेटलेट्स काउंट का कम होना हमारे इम्युनिटी सिस्टम पर भी निर्भर करता है, अगर हमारी इम्युनिटी कमजोर है फिर भी प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाते है। इसके आल्वा यह कुछ दवाएं लेने का एक साइड इफेक्ट हो सकता है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बच्चों और किशोर में इस समस्या का जल्दी पता नही चल पाता है| यही वजह है कि वर्तमान समय में चिकित्सक रोगी को उचित समय पर प्लेटलेट्स टेस्ट करवाने की सलाह दे देते हैं जिससे समस्या को जल्दी दूर किया जा सकता है| जब शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति कम होने लगती है तो प्लेटलेट्स भी कम हो जाती हैं|

क्या होगा अगर प्लेटलेट्स काउंट कम होने लगे?

  • अगर व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लग जाती हैं तो उसके लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू हो जाते हैं|
  • इस समस्या में व्यक्ति के शरीर की त्वचा से रक्त निकलना शुरू हो जाता है|
  • लाल और बैंगनी रंग के निशान भी हो सकते हैं|
  • इसकी वजह से भोजन का सेवन करते समय दांत और मसूड़ों से रक्तस्राव होने लग जाता है|
  • प्लेटलेट कम होने से शरीर के अंदर गर्मी बढ़ जाती है जिसके बाद नाक से खून निकलना शुरू हो जाता है|
  • कई शोध में पता चला है कि महिलाओं की योनी से भी खून निकलने लगता है, इसलिए समय पर इसका उपचार होना जरूरी है|
  • रोगी के मल से खून निकलने लगता है जिसको नज़रंदाज़ करना जानलेवा हो सकता है|तो तुरंत उसको प्लेटलेट टेस्ट करवा कर उपचार ले लेना चाहिए|
  • अंत में यही कहा जा सकता है कि कम प्लेटलेट व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकती है|

क्या है प्लेटलेट्स काउंट कम होने के कारण:

आधुनिक चिकित्सा में कम प्लेटलेट काउंट को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का नाम दिया गया है। यह समस्या काफी लोगों में अनुवांशिक मानी जाती है, लेकिन निम्नलिखित मुख्य कारणों के बारे में जानकर इसका सही आयुर्वेदिक चिकित्सा किया जा सकता है|

* यह समस्या व्यक्ति को शरीर में हुई विटामिन बी की कमी के कारण हो सकती है|
* लीवर रोग सिरोसिस को इसका मुख्य कारण माना गया है|
* आज के समय में कैंसर का इलाज करने के लिए हो रही कीमोथेरेपी से भी प्लेटलेट काउंट कम हो सकते हैं|
* अधिक एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का कारण बन सकता है|
* एनीमिया को भी कम प्लेटलेट का अहम कारण माना गया है|

प्लेटलेट्स काउंट कितना सही माना जाता है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक व्यक्ति के शरीर में सामान्य प्लेटलेट 150 से 750 हजार प्रति माइक्रोलीटर होती है, परन्तु जब यह 120 से कम हो जाए तो किसी वैद्य सलाह लेकर उपचार ले लेना उचित रहता है|

कम प्लेटलेट्स काउंट होने पर रखें इन बातों का ध्यान:

* हमेशा लंबी बाजू शर्ट पहनने का प्रयास करें|
* हरी सब्जियां, मौसमी फल और हर्बल चाय का ज्यादा सेवन करें|
* विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को ज्यादा मात्रा में उपभोग करें|
* प्लेटलेट काउंट कम होने का कोई भी लक्षण महसूस होती ही तुरंत किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करें|
* प्रतिदिन 7 से रोजाना 8 लीटर पानी का सेवन जरूर करें|

क्या आयुर्वेदिक दवा से प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाया जा सकता है?

यहाँ हम आपको प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने वाले कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके प्रयोग से आप इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं|

अमरूद रस फायदेमंद– लाल अमरूद के रस में अनेक लाभकारी पोषक तत्वों पाए जाते हैं, इसको विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्रोत भी कहा जाता है जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में काफी मददगार होता है। अपने आहार में ताजे अमरूद के रस को शामिल करना घटे हुए प्लेटलेट काउंट को संतुलित कर सकता है|

गाजर के साथ चुकंदर– इस प्रयोग का उपयोग करने के लिए सबसे पहले गाजर और चुकंदर को पानी के साथ साफ़ कर लें| इनका एक गिलास जूस दोपहर के समय सेवन करना प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में फायदेमंद माना गया है| जब तक प्लेटलेट नियंत्रित न हो जाएँ आप इस प्रयोग का रोजाना सेवन कर सकते हैं|

पपीता के पत्ते का प्रयोग– इसके प्रयोग के लिए आप एक मुट्ठी पपीते के पत्ते लेकर साफ पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें और ठंडा होने पर इसका सेवन कर लें| इस प्रयोग का उपयोग आप दिन में दो बार कर सकते हैं| इसके अलावा आप रोजाना 150 ग्राम पपीते का सेवन भी कर सकते हैं, यह दोनों प्रयोग शरीर में प्लेटलेट्स के स्तर को काफी तेजी से बढ़ाने में मदद करते हैं|

विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का उपयोग– प्लेटलेट बढ़ाने के लिए हर डॉक्टर या वैद्य रोगी को विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कीवी, आंवला, संतरा और नींबू का सेवन करने की सलाह देता नज़र आता है| इनका सेवन आप जूस के रूप में कर सकते हैं, विटामिन-सी के अंदर काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जो कम हुई प्लेटलेट को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होता है|


कम प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार:

अब हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के द्वारा कम प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाने की जानकारी देने वाले हैं, इसलिए हर बिंदु को ध्यान से पढ़ें| लोकप्रिय आयुर्वेद संस्था अवेदा आयुर ने 100 % प्राकृतिक जड़ी बूटियों का मिश्रण करके हर्बल औषधियों तैयार की हैं जिनका उचित सेवन इस समस्या को जल्दी दूर करने के साथ-साथ शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को भी बढ़ा देता है|

व्हीटग्रास रामबाण दवा– प्लेटलेट कम हो जाने पर व्हीट ग्रास के प्रयोग को आयुर्वेदिक चिकित्सा में रामबाण औषधि माना गया है| इसका आधा गिलास जूस निकालकर उसके अंदर नींबू का मिश्रण करके दिन में एक बार सेवन वैद्य की सलाह लेकर किया जा सकता है| इसमें क्लोरोफिल, विटामिन, फोलिक एसिड और जिंक जैसे लाभकारी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ प्लेटलेट स्तर को संतुलित बनाए रखते हैं|

गिलोय के अनेक फायदे– गिलोय आपकी पाचन क्रिया और बीमारियों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने में मददगार साबित होती है| इसका सेवन शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया को घुसने नही देता और आप कम प्लेटलेट काउंट की समस्या को जल्दी दूर कर सकते हैं।

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प्लेटो जी प्लसप्लेटो जी प्लस कैप्सूल में कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियां होती हैं जैसे गिलोय, पपीता, व्हीटग्रास आदि। प्लेटो जी प्लेटलेट्स को बढ़ाता है और वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सीफाई करता है।

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