आयुर्वेद ने कहा है कि जब भी मौसम में बदलाव आता है, वह अपने साथ अनेक बिमारियों को भी ले आता है| आज के समय में एलर्जी एक सामान्य बीमारी का रूप ले चुकी है ।
आधुनिक शोध ने कहा है कि काफी लोगों की एलर्जी उनके पूरे जीवन काल में बनी रहती है| परन्तु कुछ में एलर्जी के लक्षण और कारण मौसम बदलने पर अलग-अलग तरह की परेशानी देखने को मिलती है।
कई लोगों को मौसम के बदलाव में छींक आना शुरू हो जाती है, कुछ को नाक, कान या त्वचा की एलर्जी परेशान करने लगती है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही एलर्जी से सुरक्षित रहने के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
एलर्जी रोग परिचय:
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के मुताबिक जब व्यक्ति के शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति कम होने लग जाती है तो इसका असर एलर्जी के रूप में दिखने लगता है| बता दें कि शरीर की स्वस्थ रोग प्रतिरोधक प्रणाली हानिकारक पदार्थों को पहचान कर एंटीबॉडीस बनाने लग जाती है, जिससे आप इस गंभीर समस्या से बचे रह सकते हैं|
अगर ऐसा न हो तो बार-बार छींक आना, जुकाम हो जाना, आंखों में जलन रहना, त्वचा पर खुजली, शरीर की बाहरी त्वचा पर लाल निशान हो जाना जैसी एलर्जी आपको काफी परेशानी में डाल सकती है| एक भारतीय रिपोर्ट कहती है कि 25 से 35 % लोग आज के समय में अलग-अलग एलर्जी के शिकार हैं|
सामान्य एलर्जी के लक्षण:
* बार-बार छींक आना, नाक और कान में खुजली, जुकाम होना|
* आँखें लाल होना, जलन या उसे पानी निकलना।
* अत्यधिक खांसी, श्वास नली में तकलीफ इसके मुख्य लक्षण है।
* कई बार त्वचा पर लाल दाने निकल आते हैं|
अगर आपको ये सभी लक्षण एक साथ दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेकर उपचार लेना शुरू कर दें, नहीं तो आने वाले समय में ये बीमारी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है|
एलर्जी के अलग-अलग कारण:
एक शोध ये भी कहती है कि काफी लोगों को खाद्य पदार्थों से भी एलर्जी हो सकती है, जिसका असर खाने के 10 से 15 मिनट बाद शरीर की बाहरी त्वचा या आंतरिक रूप से दिख सकता है|
कई लोगों को हरी घास, फूल या फिर पेड़ के संपर्क में आते ही छींक आना, त्वचा पर खुजली, आँखों में जलन जैसी एलर्जी हो जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धूल के अंदर काफी ज्यादा माइक्रोब्स पाए जाते हैं जो आपकी नाक के रास्ते अंदर अंदर जाने के बाद नुकसान पहुंचा सकते हैं|
काफी लोगों को किट के काटने पर एलर्जी हो जाती है जिसके बाद उनके पूरे शरीर की त्वचा पर मोटे-मोटे निशान पड़ जाते हैं|
इसके अलावा परफ्यूम या फिर अन्य प्रॉडक्ट की खुशबू से एलर्जी होने का डर बना रहता है|
जब भी मौसम में बदलाव शुरू होता है तो कई लोगों को गला खराब, जुकाम, नाक से पानी आना, त्वचा में खुजली जैसी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
एलर्जी का आसान शिकार:
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो गांव के मुकाबला शहर में अपना जीवनयापन करने वाले लोग एलर्जी से ज्यादा ग्रसित पाए जाते हैं। एक शोध ने कहा है कि यहाँ पर बच्चों को साफ़-सफाई के साथ रहना सिखाया जाता है, जिसके बाद उनकी रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है| वहीं दूसरी और गावों की धूल-मिटटी में पले-बढ़े बच्चों की इम्युनिटी काफी ज्यादा मजबूत पाई जाती है|
बदलते मौसम में एलर्जी बुजुर्गों में आम देखने को मिलती है।
इसके आलवा अगर किसी जवान व्यक्ति की इम्युनिटी कम है तो वो एलर्जी का आसानी से शिकार हो जाते है।
बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम सबसे अधिक कमजोर होता है यह देखा गया है की बदलते मौसम में बच्चें सबसे अधिक बीमार होते है।
आयुर्वेदिक उपचार से एलर्जी कैसे दूर करें?
अगर आपको पता हो एलोपैथिक मेडिसिन का असर शरीर में खाते ही दिखना शुरू हो जाता है, परन्तु आयुर्वेदिक औषधि शरीर को अंदर से कमजोर कर रहे तत्वों को धीरे-धीरे नष्ट करने का काम करती हैं| आज हम आपको लाइफ अवेदा की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताने जा रहे हैं, इसके नियमित सेवन से आप किसी भी प्रकार की एलर्जी से सुरक्षित रह सकते हैं| जो लोग त्वचा, नाक और फूलों की एलर्जी से परेशान रहते हैं ऐसे व्यक्तियों की मदद करने के लिए, लाइफ अवेदा ने एक शुद्ध हर्बल फार्मूला एलर जीआई कैप्सूल एंटी-एलर्जी और एंटी-इंफ्लेमेटरी हर्बल अर्क के मिश्रण के साथ तैयार किया है|
Life Aveda Aller GI Ayurvedic Product
यह पूरी तरह से एक हर्बल उत्पाद है इसे आयुर्वेद में सबसे अच्छी एलर्जी औषधि माना जाता है। इस हर्बल उपचार को तैयार करने में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एलर्जी गुणों के कारण विख्यात हैं। एलर जीआई कैप्सूल में हरिद्रा (करकुमा लोंगा), नीम (अजादिराच्टा इंडिका), शिरीष (अल्बिजिया लेबेक), और अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा) के शुद्ध अर्क का मिश्रण किया गया है। ये सभी जड़ी-बूटियां बिना किसी साइड इफेक्ट दिखाए फायदेमंद साबित होती हैं|
आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी एंटी-कैंसर, एंटीडायबिटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एलर्जी गुणों से भरपूर होती है, यह रोगी को त्वचा की खुजली और और दर्द से राहत देती है। नीम एक लाभकारी जड़ी बूटी भी है, इसमें कीटाणुनाशक और एंटीसेप्टिक गुण काफी पाए जाते हैं। नीम का इस्तेमाल लोग सर्दियों में त्वचा रोगों को दूर करने के लिए करते हैं|
शिरीष जड़ी-बूटी का अर्क आपके शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय के रास्ते निकालकर पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। एलर जीआई कैप्सूल में यह जड़ी बूटी अमा से छुटकारा पाने और आपकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने में आपकी सहायता करेगी। अश्वगंधा रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ अनेक एलर्जीय राइनाइटिस को दूर करने में मदद करता है|
सेवन करने की विधि: 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार भोजन के बाद सादे पानी के साथ या वैद्य की सलाह के अनुसार।
एलर जीआई औषधि से होने वाले लाभ:
* त्वचा की एलर्जी, त्वचा पर होने वाले निशान और पित्ती का उपचार करने में कारगर|
* श्वसन तंत्र की एलर्जी को कम समय में दूर करने में मददगार|
* पराग या फूलों से होने वाली एलर्जी में फायदा पहुंचाता है|
* अग्रक किसी को सुबह-सुबह छींकने की आदत है या फिर नाक बहती है उसको दूर करने में साहायक|
* व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन और दर्द को खत्म करे|
* हाई फीवर को नियंत्रित करने में उपयोगी|
* रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने वाली लाभकारी औषधि|
दवाई का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले। इस दवाई का उपभोग एक रोगी से दूसरे रोगी में उनके चिकित्सा मानकों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
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