आयुर्वेद चिकित्सा में कहा गया है कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या आईबीएस एक पाचन विकार है, जो व्यक्ति की आंतों से संबंधित होता है। मुख्य रूप से यह शरीर की सबसे बड़ी आंत को प्रभावित करता है। इस रोग के लक्षण पेट में दर्द, बेचैनी और मल त्याग करने में कठिनाई होना इनमें से कुछ हो सकते हैं जिनके बारे में हम आपको पिछले आर्टिकल में विस्तारपूर्वक बता चुके हैं।
इस समस्या में आंतों को ज्यादा नुकसान नहीं होता परन्तु यह इसके खराब होने का संकेत जरुर दे देता है, यह बीमारी शरीर की नसों और मांसपेशियों को भी कमजोर बना देती है। अब हम आपको अत्यधिक तनाव और गलत खान-पान से होने वाली समस्या इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम है के उत्तम इलाज़ की महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं|
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) का आयुर्वेदिक इलाज
निम्नलिखित तरीकों के द्वारा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) समस्या का उपचार किया जा सकता है|
* विरेचन विधि– इस विधि के द्वारा शरीर में बढ़ चुके पित्त दोष को संतुलित करने की कोशिश की जाती है ताकि आईबीएस का अच्छे से इलाज किया जा सके| कब्ज, दस्त और शरीर में जमा हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए प्राकृतिक जड़ी बूटियों के द्वारा शरीर का विरेचन किया जाता है|
विरेचन के समय आईबीएस रोगी को खट्टी और तीखी औषधियों का सेवन कराया जाता है ताकि पेट अच्छे से साफ़ हो सके|
* वमन विधि– इस विधि के द्वारा शरीर में हम अतिरिक्त अमा और बलगम को शरीर से बाहर निकालने की कोशिश की जाती है| इस विधि का मुख्य कार्य शरीर में जमा अत्यधिक कफ को बाहर निकालना होता है जो लोग कफ दोष के असंतुलित हो जाने से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) का शिकार हुए हैं उनके उपचार के लिए सबसे पहले वमन चिकित्सा विधि का प्रयोग किया जाता है|
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) की आयुर्वेदिक दवा
यहाँ हम आपको लाइफ अवेदा द्वारा 100 % शुद्ध और प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार लोकप्रिय आईबीएस केयर पैक के बारे में लाभकारी जानकारी देने वाले हैं| इसका उचित सेवन आईबीएस, अपच, गैस्ट्रिक समस्या, एसिडिटी और पेट की अनेक गम्भीर बिमारियों में फायदेमंद साबित हुआ है|
आइये इसकी औषधियों के बारे में जान लेते हैं जिनके अंदर अनेक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल और शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर प्राकृतिक जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है|
गैस्ट्रो जी— इस औषधि में मैरीगोल्ड, अनार नागकेसर जैसी उत्तम जड़ी-बूटियों का मिश्रण किया गया है जो आपके स्वस्थ मल त्याग में मददगार साबित होती है। इनका परिणाम रक्तस्राव, आंतों की सूजन में उत्तम माना गया है। नागकेसर में कसैले गुण होते हैं जो बृहदान्त्र और आंत में सूजन, रक्तस्राव जैसी समस्याओं को जल्दी दूर करने में सहायता प्रदान करते हैं।
यह पित्त दोष को शांत करके शरीर की गर्मी को संतुलित रखने का काम करती है। इनके अलावा मैरीगोल्ड भी अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, यही वजह है कि शरीर की आंतरिक सूजन को कम करने के साथ-साथ यह आंत को मजबूत बनाए रखने में भी मदद करता है।
गैस्ट्रो जी का स्वभाव पूरी तरह से प्राकृतिक ठंडा और कसैला है जो जठरांत्र संबंधी मार्ग की सूजन को ठीक करने और पाचन क्रिया को मजबूत बनाए रखने में सहायता सहायता करता है| अआपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह स्वस्थ वजन प्रबंधन के साथ शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में भी काफी मदद करता है।
कुटज घनवटी— कुटज घनवटी को आयुर्वेदिक भाषा में लोगों द्वारा ओवर-द-काउंटर दवा के नाम से भी जाना जाता है, इसका सबसे ज्यादा प्रयोग दस्त, अपच और पाचन से सम्बन्धित विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है|
इसके अंदर मुख्य रूप से कुटुज एक सक्रिय हर्बल जड़ी बूटी का मिश्रण किया गया है। यह दवा पेट से संबंधित रोग, दस्त, आईबीएस, बुखार, रक्तस्राव और कई अन्य समस्याओं के इलाज के लिए श्रेष्ट मानी जाती है। यह पाचन शक्ति को मजबूत करने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा देती है।
कामदुधा रस-– कामदुधा रस एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग पाचन समस्याओं, पुराने बुखार, अकेलापन, चक्कर, मतली, उल्टी, कमजोरी आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। हर्बल और खनिज अवयवों से बना होने के कारण इसका उपयोग कई रोगों के आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जा सकता है। एंटासिड में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-इमेटिक, टॉनिक, माइल्ड एंटी-डिप्रेसेंट, एडाप्टोजेनिक और एंटी-वर्टिगो गुण होते हैं।
इन कैप्सूल में पाचन और चयापचय संबंधी विकारों में सुधार करने के लिए लाइफ अवेदा ने बहुत ही शक्तिशाली जड़ी-बूटियों का मिश्रण किया है। यह पाचन और आंत के स्वास्थ्य में भी सुधार करने में मदद करती हैं, यह औषधि एक प्रोबायोटिक टॉनिक के रूप में काम करती है।
उपयोग करने की विधि:
गैस्ट्रो जी – 1 कैप दिन में दो बार 30 मिनट भोजन के बाद सादे पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार|
कामदुधा रस – 1 टैब दिन में दो बार भोजन के 30 मिनट के बाद सादे पानी के साथ लें या बेहतर परिणाम के लिए वैद्य से सलाह लें|
कुटजघन वटी – 1 टैब दिन में दो बार भोजन के 30 मिनट के बाद सादे पानी के साथ या चिकित्सक की सलाह के अनुसार|
आईबीएस केयर पैक के महत्वपूर्ण लाभ:
- यह पाचन तंत्र में सुधार करता है
- खट्टी डकार आने की समस्या को जल्दी दूर करता है
- नसूर के साथ बड़ी आंत की सूजन को भी कम करने में मदद करता है
- गैस की परेशानी को जड़ से खत्म करता है
- पेट फूलना की समस्या में कारगर माना गया है
- शरीर में जमका अतिरिक्त बलगम को बाहर निकाल देता है
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) बीमारी में पूछे जाने वाले कुछ सामान्य प्रश्न:
1. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) समस्या कितने दिनों में ठीक हो जाती है?
यदि आपके अंदर इस बीमारी के गंभीर लक्षण दिख रहे हैं तो चिकित्सक आपकी दवा को 5 से 6 महीने तक चला सकता है, क्योंकि नियमित रूप से आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करने से बीमारी जल्दी खत्म होती है|
2. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) क्या है?
यह आंतों की एक बीमारी है, जिसमें पेट में दर्द, बेचैनी और मल त्याग करने में कठिनाई होना शुरू हो जाती है, आधुनिक चिकित्सा में इस समस्या को स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल कोलन और म्यूकस कोलाइटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है।
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