लोगों के मन में आयुर्वेदिक औषधियों को लेकर अक्सर एक ही सवाल आता है कि यह किस तरह से असर करती हैं और इनके फायदे, नुकसान क्या हैं| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एलोपैथिक मेडिसिन का असर खाते ही दिखना शुरू हो जाता है, परन्तु आयुर्वेदिक दवाइयों में ऐसा नहीं है| यह आपके शरीर को अंदर से कमजोर कर रहे तत्वों को धीरे-धीरे नष्ट करने का काम करती हैं| जिस किसी वजह से आप बीमारी से ग्रसित हुए हैं, आयुर्वेदिक मेडिसिन उन्ही को खत्म करने में अहम भूमिका निभाती है| आज इस आर्टिकल में हम आपको आयुर्वेदिक औषधियां कम से कम तीन महीने क्यों खानी होती है, इनके फायदे और नुकसान कैसे होते हैं इसकी जानकारी देने वाले हैं|
आयुर्वेदिक औषधियां का परिचय:
अगर आपको पता हो विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ही है। संस्कृत के प्राचीन ग्रंथो के मुताबिक सबसे पहले देवता इसी चिकित्सा का इस्तेमाल करते थे, जिसके बाद उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न आचार्यों को इसका ज्ञान दिया था। आयुर्वेद का पहले से अंत तक आचार्य क्रम इस प्रकार है, सबसे पहले अश्विनीकुमार, इनके बाद धन्वंतरि, महर्षि अत्रि और उनके छः शिष्य, अंत में इस ज्ञान को संभालने का काम आचार्य सुश्रुत और आचार्य चरक ने किया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार इस धरती पर जो भी पेड़, पौधा उसकी जड़, छाल, फल ,फुल होते हैं उन सभी के अंदर अलग-अलग प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। वर्तमान समय में लोग इस चिकित्सा पद्धति का रुख करने लगे हैं, परन्तु उन्हें इसके बारे में और ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है|
हम आयुर्वेदिक औषधियां (मेडिसिन्स) कम से कम तीन महीने क्यों लेते हैं
आप किसी भी बीमारी से संक्रमित है, उसके उपचार के लिए अगर आप आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो इनका असर आपको 15 से 20 दिनों में दिखना शुरू होता है| यह आपके रोग पर निर्भर करता है कि आप उससे किस तरीके से ठीक हो रहे हैं, परन्तु हर आयुर्वेदिक मेडिसिन्स को कम से कम तीन महीने जरुर खाना होता है| क्योंकि इसी समय में औषधि के असर का पता चल पाता है| अक्सर देखा जाता है कि आयुर्वेदिक दवा 6 महीने से 1 साल तक भी चल जाती है, यह किसी भी बीमारी में एकदम से असर नही करती, लेकिन उसको जड़ से खत्म करने में अहम भूमिका निभाती है| इन दवाइयों के नुकसान कम और फायदे जाता होते हैं| जैसे-जैसे समय का पहिया घूमा है, वैसे-वैसे लोगों के खान-पान और जीवनशैली में भी बदलाव देखने को मिल रहा है| आयुर्वेद के बारे में अक्सर आपने लोगों को बात करते सुना होगा कि इस चिकित्सा का कोई भी नुकसान नही है। आज के समय में इस चिकित्सा पद्धति का चलन बढ़ता जा रहा है और लोग आधुनिक उपचार के साथ आयुर्वेदिक दवाइयों की सहायता लेते नज़र आते हैं|
अगर आप आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो आपको सजग और सावधान रहने की जरूरत है| प्राचीन ऋषि मुनियों ने इनके उपयोग के लिए कुछ नियम कानून बनाए हैं जिनका पालन करना बहुत आवश्यक है| आयुर्वेद चिकित्सा कहती है कि अगर नियम को ध्यान में रखकर इन दवाइयों का सेवन न किया जाए तो आगे चलकर अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए सावधानी के साथ उनका उपयोग करें|
आयुर्वेदिक चिकित्सा नियम:— इस चिकित्सा में प्राचीन वैद्यों ने औषधि के सेवन के लिए कुछ मुख्य नियम बनाए हैं, जैसे सूर्योदय के बाद इसका सेवन करना, दोपहर को भोजन के बाद, सूरज छिपने के बाद और रात को सोने से पहले कैसे इसका उपयोग करना है। यह भी देखा गया है कि लोग ये दवाइयाँ लेना तो शुरू कर देते हैं, परन्तु उनको उचित आराम नहीं मिलता, जिसके बाद वह परेशान रहने लग जाते हैं| इसलिए जब भी इनका सेवन करें तो वैद्य से परामर्श आवश्य कर लें|
ज्यादा प्रयोग हानिकारक:— इस बात का तो सभी को पता है कि कोई भी काम अगर हम हद से ज्यादा करेंगे तो उसका नुकसान जरूर होगा| आयुर्वेदिक दवाइयों का भी ऐसा ही है, इनका अनुचित सेवन आपके शरीर को हानि पहुंचा सकता है| इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि वैद्य की सलाह लेने के बाद ही इन जड़ी-बूटियों का सेवन करें|
आयुर्वेदिक दवाइयों के फायदे:-– इस चिकित्सा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बीमारी को जड़ से खत्म कर देती है| इसके अलावा कुछ प्राकृतिक औषधियां ऐसी भी हैं जो शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने का काम करती हैं, इन जड़ी-बूटियों के नुकसान कम और फायदे ज्यादा होते हैं| अगर आपको पता हो स्वास्थ्य से संबंधित अनेक गंभीर रोगों को रसोईघर के प्राकृतिक मसालों से दूर किया जा सकता है।
कैसे होता है नुकसान:-– अगर आप सोच रहे हैं कि आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई नुकसान नहीं है तो आप गलत हैं| इस चिकित्सा में सबसे पहली बात यह कही जाती है कि विशेषज्ञ की सलाह के बगैर इन औषधियों का उपयोग न करें| समय पर जांच न हो पाने से और आयुर्वेदिक दवाओं का अपने आप प्रयोग करने से आप आने वाले समय में गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं|
कैसे तैयार की जाती आयुर्वेदिक औषधि:— यह दवाइयां कैसे और किस मात्रा में बनेगी इसके लिए नियम और कानून भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा बनाए जाते हैं| लोगों तक पहुंचने से पहले इन औषधियों को चार क्लीनिकल ट्रायल से गुजरना पड़ता है, यहाँ से पास होने के बाद ही इनको सेवन करने के लिए दिया जाता है| आइये जानते हैं कैसी होती है ये प्रक्रिया–
* यह क्लीनिकल ट्रायल की पहली स्टेज है, इसमें डॉक्टर द्वारा स्वस्थ लोगों पर टेस्ट किया जाता है, यहाँ से पास होने के बाद ही सेम्पल अगली स्टेज पर जाता है|
* दूसरे क्लीनिकल ट्रायल में औषधि के बीमारी के ऊपर प्रभाव को चेक किया जाता है, यह लक्षणों को कितना रोकने में सक्षम और इसका कोई नुकसान तो नही है इस बात पर खास ध्यान दिया जाता है|
* दवा के तीसरे ट्रायल में थेरेपी का सहारा लिया जाता है और यह भी देखा जाता है कि औषधि भारत वासियों के अलावा विदेशी लोगों पर भी असर कर रही है या नही| यहां से पास होने के बाद आगे का निर्णय लाइसेंसिंग अथॉरिटी को लेना होता है|
* सबसे अंतिम पोस्ट मार्केटिंग ट्रायल होती है, इसमें एक औषधि को अन्य के साथ इस्तेमाल करके प्रयोग किया जाता है| अंत में लाइसेंसिंग अथॉरिटी इसके फायदे जानने के लिए ट्रायल फिर से करवा सकती है|
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