हाई शुगर लोगों के गलत खान-पान और खराब दिनचर्या की वजह से वर्तमान समय में विश्व की आम बीमारियों में से एक बन गई है| इस रोग से ग्रसित इंसान के शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होनी शुरू हो जाती है| यह किसी भी आयु में हो सकती है, अगर समय रहते इसके ऊपर ध्यान न दिया जाए तो यह शरीर के अंगों जैसे फेफड़े, आंत, नसें और पैरों को संक्रमित करना शुरू कर देती है| आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ उचित आहार का ध्यानपूर्वक सेवन करने से इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है|

हाई शुगर के प्रकार: Types of High Sugar in Hindi

आधुनिक चिकित्सा में इस समस्या को दो प्रकार का बताया गया है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है

हाई शुगर का टाइप 1: शुगर के इस प्रकार में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के अंदर इंसुलिन तैयार करने वाली कोशिकाओं को खत्म करना शुरू कर देती हैं| शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाने के कारण रोगी को इंजेक्शन देने शुरू कर दिए जाते हैं, जिनका अनुचित प्रयोग जानलेवा माना जाता है|

हाई शुगर का टाइप 2: इस स्थिति में रोगी के शरीर के अंदर इंसुलिन का स्तर धीरे-धीरे कम होता चला जाता है और शरीर उसका उपयोग अच्छे से करने में असमर्थ हो जाता है| वर्तमान समय की एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि हाई शुगर का यह प्रकार किसी भी आयु में व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है, इसलिए इसको शुगर का सामान्य प्रकार माना जाता है|

हाई शुगर के सबसे अहम लक्षण: High Sugar Symptoms in Hindi

घाव का जल्दी भर जाना– आधुनिक शोध में कहा गया है कि अगर किसी शुगर ग्रसित व्यक्ति को बाहरी त्वचा पर चोट या घाव हो जाता है तो शरीर में शुगर अनियंत्रित होने के कारण वह जल्दी भरने लग जाता है| डॉक्टर्स के अनुसार ऐसा तब होता है जब व्यक्ति के शरीर में जरूरी पोषक तत्व और खनिज पदार्थों की कमी होने लग जाती है|

एकदम से व्यक्ति का वजन कम हो जाना– इसको हाई शुगर का सबसे अहम लक्षण माना गया है| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब व्यक्ति के शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा नही रह पाती तो उसके शुगर का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है और इसी वजह से वह शारीरिक रूप अचानक से कमजोर होने लगता है|

बार-बार पेशाब का आना– इंसान के शरीर में जब इंसुलिन का स्तर नियंत्रित नही रह पाता तो इसका सबसे ज्यादा असर उसके गुर्दों पर दिखना शुरू हो जाता है| यह स्थिति बढ़ती चली जाती है और अंत तक आते-आते व्यक्ति के गुर्दे  शरीर के अंदर बनने वाले तरल पदार्थ को सोखने में असमर्थ हो जाते हैं और बार-बार पेशाब आना शुरू हो जाता है|

भूख ज्यादा लगना– आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार शुगर से पीड़ित व्यक्ति का खाना खाने के बाद भी पेट खाली रहता है और थोड़ी-थोड़ी देर में वह कुछ न कुछ  रहता है| ऐसी स्थिति दिखाई देने पर व्यक्ति को तुरंत जाँच करवा लेनी चाहिए|

सुस्ती और थकान महसूस होना– आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि जब व्यक्ति के शरीर में शुगर हाई हो जाता है तो वह अपने कार्यों के प्रति सक्रिय नही रह पता और हमेशा सुस्त-सुस्त और थका हुआ महसूस करने लग जाता है|

प्यास ज्यादा लगना– आवश्यक तरल पदार्थ और खनिज पदार्थों की कमी के कारण व्यक्ति व्यक्ति को अधिक प्यास लगनी शुरू हो जाती है| इस स्थिति में रोगी को कभी भी मीठा तरल पदार्थ नही देना चाहिए बल्कि उसके स्थान पर  एक गिलास सादे पानी सेंधा नमक और नींबू मिलाकर रोजाना सेवन करवा लेना चाहिए|

हाई शुगर के लिए परीक्षण: Diagnosis of High Sugar in Hindi

निम्नलिखित परीक्षणों के द्वारा इस समस्या को जल्दी पहचाना जा सकता है….

* स्क्रीनिंग टेस्ट परीक्षण— किसी गर्भवती के अंदर जेस्टेशनल डायबिटीज का के खतरों को जानने के लिए डॉक्टर्स ज्यादातर उनको यह परिक्षण करवाने की सलाह दे सकते हैं। बता दें कि इस परिक्षण के समय किसी को खली पेट रहने की जरूरत नही पड़ती, इस टेस्ट में व्यक्ति को कुछ मीठा पेय पदार्थ सेवन करने के लिए दिया जाता है जिसके एक घंटे बाद ही स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है|

* ग्लूकोज फास्टिंग परीक्षण— हाई शुगर का यह सबसे अहम और सामान्य परीक्षण माना जाता है, इसको सुबह खाली पेट किया जाता है| इसमें व्यक्ति के शरीर से रक्त निकाल लिया जाता है और उसकी जाँच करके रक्त के अंदर शुगर की मात्रा का पता लगाया है|

* रैंडम हाई शुगर परीक्षण-– जब किसी भी व्यक्ति के अंदर हाई शुगर के लक्षण महसूस हो और ग्लूकोज फास्टिंग परीक्षण नही करवाना चाहता तो डॉक्टर किसी भी समय रैंडम हाई शुगर परीक्षण करवाने के लिए कह सकता है|

* ए1सी परीक्षण-– पिछले 2 से 4 महीनों का उतार-चढ़ाव पता करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है, इसमें व्यक्ति को खाली पेट रहने की जरूरत नही होती और वह किसी भी समय यह परीक्षण करवा सकता है|

हाई शुगर से बचाव: Prevention of High Sugar in Hindi

अगर आप इस जानलेवा बीमारी से परेशान हैं तो सबसे पहले अपनी दिनचर्या में परिवर्तन जरुर कर लें| आपको भोजन नियमित रूप से थोड़े-थोड़े अंतराल में खाना चाहिये, एकदम से खाया हुआ आहार शरीर के अंदर जा कर शुगर लेवल को बढ़ा देता है| इस बीमारी के रोगी को हमेशा फाइबर युक्त आहार का सेवन ही करना सही रहता है, क्योंकि इनके अंदर कार्बोहाइड्रेट की मात्रा नही होती|

हाई शुगर को कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवा : Ayurvedic Medicine to control high sugar in hindi

Advance Di Revival Life Aveda

Advanced Dia-Revival: एडवांस डी रिवाइवल रक्त में शर्करा के स्तर पर नियंत्रण बनाए रखने और इंसुलिन प्रतिक्रिया में सुधार करने में मदद कर सकता है। यह पारंपरिक रूप से आयुर्वेद से आता है और यह रक्त-शर्करा चयापचय संबंधी समस्याओं से राहत प्रदान करता है और स्वस्थ पाचन में सहायता करता है

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हाई शुगर रोगी निम्नलिखित बातों का रखे ध्यान.

  • हमेशा तनावमुक्त रहें और नींद पूरी करें|
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से अपने आप को दूर ही रखें|
  • सुबह सूर्योदय से पहले कम से कम 2 से 3 हजार कदम चलें|
  • सूर्यनमस्कार, प्राणायाम और व्यायाम को दिनचर्या में दें महत्वपूर्ण स्थान|
  • आम, चीकू और मिठ्ठे तरबूज का सेवन बिल्कुल नही करना चाहिये, यह शरीर के अंदर शुगर की मात्रा को बढ़ने का काम करते हैं|
  • अधिक नमक वाले पदार्थ का उपयोग करने से बचना चाहिये| शुगर पीड़ित इंसान सोडियम का सेवन अगर वैद्य के परामर्शानुसार करे तो सही रहता है|
  • फैटी दूध के अंदर अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो शुगर ग्रसित इंसान के लिए हानिकारक साबित हो सकता है|
  • न करें किशमिश का सेवन, इसके अंदर काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जो इंसुलिन को बढ़ा देता है|

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